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Nitu Mathur

Romance

4  

Nitu Mathur

Romance

तेरा जादू

तेरा जादू

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पनाह में तेरी इतना सुकून क्यूं है

गालों पे लाली और आंखे नम क्यूं है,


क्यूं गिरफ्त से तेरी अब बाहें छूटती नहीं

धड़कनें धीमी और सांसें थमती नहीं,


ये चाहतें जैसे समंदर सी बनी गयी

कश्ती सी आशिकी उस पर डोलने लगी,


जानें क्यूं अब जीने को जी चाहता है

हरेक मंज़र ख़ूबसूरत सा लगता है,


क्या जादू तूने चलाया है

मुझे हर सू .... तू ही नज़र आता है !


            



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