यादें!
यादें!
तुम जो रूठी हो मुझसे,
सारा जग रूठ गया है हमसे,
न जाने किस बात में,
खफ़ा हो गए अब तुम हमसे
कब तलक ये खामोशी रहेगी,
अब तो बोल दो न जरा,
मेरे प्रीत हो मन मीत हो,
कुछ तो समझा करो न जरा।
जाने किस डगर किस राह में,
गयी मुझे तन्हा छोड़ के,
तुम मुझे पराया कर गयी,
दिल दहल जाता है सोच के,
अनजान राह पर जाओगी,
तो शायद मिलेगा तुम्हें प्यार,
जान से ज्यादा चाहा तुम्हें,
यही याद करोगी बार-बार।
तरस जाओगी जब ढूंढती
फिरोगी तुम भरे बाज़ार में,
नजर नहीं आएंगे तुम्हें तो
आँसू टपक पड़ेंगे सीने में,
प्यार अगर दिल से की होत
ी,
तो ये दिन देखने को न मिलते,
मुझे समझ पाती दिल से तो,
शायद कभी छोड़ के न जाते।
अब छोड़ो भी जो हुआ सो हुआ,
पर तुम तो खुश हो न,
मेरा छोड़ो मेरा तो यही,
लिखा था नसीब में रोना,
तुम से की उम्मीद थी
सोचा साथ गुजर जाएगा ये जिंदगानी,
हैसियत से ज्यादा ख्वाब सजाया,
जिसमें फिर गया पानी।
जब भी तुम याद आती हो,
दिल बेचैन मन मचल जाता,
प्रेम अग्नि से जलता हूँ,
जब दिल में तुम्हारी आहट सा लगता,
तुम्हारी याद सता रही मुझे
जब तुम्हें आना नहीं लौट के,
लोग छोड़ जाते है फिर भी
दिल में क्यों रह जाती है उनकी यादें।।