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Manoj Murmu

Tragedy

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Manoj Murmu

Tragedy

जिंदगी

जिंदगी

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न चाहते हुए भी हजारों सवाल खड़े हो जाते हैं,

राह चलते चलते अचानक यूं ही रुक जाते हैं।

तकलीफें पीछा करती है मुश्किलें साथ होते हैं,

अजीब उलझन में फंसी पड़ी हुई ये जिंदगी है।


कभी लगता है मानो मुश्किलें हमारी परछाई है,

जो हर उजाले में हमारे साथ ही रहा करती है।

कभी लगता है मुश्किलों से जन्मों का रिश्ता है,

हर दिन हर समय मेरे साथ ही रहा करती है।


मायूस हो चली है जिंदगी कैसे कहें हाल-ऐ-दिल,

एक समस्या हल होती नही दूसरी आ खड़ी है।

न जाने किस हाल में जी रहे हैं कैसे बयां करें,

मानो समय निकल रहा समस्या यूं ही अड़ी है।


लगने लगा है एक अलग सा हम की दीवारों में,

जब से घर की जिम्मेदारी सर पर आ पड़ी है।

सोते सोते यूं ही अचानक उठ जाता हूँ रातों को,

सोचता हूँ बार बार जैसे बहुत काम लगी पड़ी है।


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