Manoj Murmu

Abstract

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Manoj Murmu

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उफ्फ ये गर्मी

उफ्फ ये गर्मी

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न जाने ये कहाँ से दौड़ा चला आया है

हमने तो न्योता देकर भी नही बुलाया है।

आसमान से तो ये आग बरसाया करता है,

सबको इसने दिन भर तो बहुत सताया है।


दिन रात गर्मी से अब तो परेशान रहते है हम,

ऊपर से कोरोना कहर चारो ओर ढाया हुवा है।

दिन में घर से अब बाहर निकल न सके हम,

गर्मी से तो अब मानो जीना दुस्वार हुवा है।

 

धूप में कहीं निकल गए तो राह में कहीं मिले

बरगद की वो ठंढी छांव में अब तो जन्नत लगे।

गर्मी की इस मार से तड़प जाओगे तुम अगर

मटकी में जल भी तो अब प्यासे को अमृत लगे।

 

एक तो गर्मी से एक तो कोरोना की डर से

घर से बाहर निकलना तो एक बड़ी आफत है।

घर के अंदर ही रहो अब पंखा कूलर चला के,

इससे बचने के लिए तो घर मे ही बैठना राहत है।


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