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Manoj Murmu

Abstract Romance

4  

Manoj Murmu

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पहला प्यार: अधूरी दास्तान

पहला प्यार: अधूरी दास्तान

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बरसो बाद आज उससे मुलाकात हुई,

बातें न ज्यादा न कहीं अधिक हुई।

उम्मीद न थी इस कदर मुलाकात होगी,

बरसो बाद एक दूसरे से यूं बात होगी।


याद है मुझे उससे पहली मुलाकात,

बहुत ही खास दिन था वो मेरे लिए।

जब मुस्कुरा के पहली दफा देखी मुझे,

दिल में प्रेम की घण्टी बजी उसके लिए।


उसकी हर एक मुस्कुराहट पे सांसे रुकी थी,

उसकी हर एक अदाओं पे मैं फ़िदा था।

पहला प्यार जब जिंदगी में दस्तक दिया,

उन हसीन घड़ियों मैंने उसे पाया था।


मुलाक़ातों के सिलसिले यूं चल पड़ी थी,

दिल-ओ-जान हमारे, सदा ही घुल-मिले थे।

रेशम डोर से बांध-मिलकर ख्वाब सजाए थे,

नयना मिले नयनों से हम दोनों मुस्कुराए थे।


जाने किसकी नजर लगी प्रेम मझधार में,

ये दूरियां बढ़ती चली गयी हमारे बीच में।

हंसना तो आता था प्रेम रोना भी सीखा दिया,

बोलने में तो माहिर थे चुप रहना सीखा दिया।


बहुत अरसे बाद उनसे फिर मुलाकात हुई,

आंखें झुकी थी उसकी इसलिए बातें कम हुई।

प्यार तो अब भी है पर करें तो क्या करें,

मुलाकात भी तब हुई जब उसकी शादी हुई।



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