तड़प
तड़प
क्यों नही छूट रही है आदत उसकी
क्यों हर पल तड़पा रही है यादें उसकी
क्यों उनके पीछे पड़े है पागलों की तरह
क्यों आंखें नम होने लगी है उसके लिए।
इस तरह लत लगी है मुझे उसकी
न बात करूं उसे तो जान निकल जाती है.
इस तरह पागल कर गयी वो मुझे
अब भीड़ में भी तन्हा लगने लगा है मुझे।
न जाने क्यों मुझसे दूर होना चाहती है वो
हर पल बातें होती थी अब कतरा रही है वो
कैसे बताऊं उसे मेरी दिल की धड़कन है वो
मैंने उसे अपना माना क्यों पराया कर रही है वो।
अब तो धीरे धीरे दूरियां बना रही है मुझसे
न जाने सोची होगी कि नही क्या गुजरेगी मुझपर
अब तो उसके सिवा कुछ अच्छा नही लगता
नही पता क्यों इस तरह कर रही है मुझसे।