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Rahul Kumar Rajak

Romance

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Rahul Kumar Rajak

Romance

प्रेम व्याख्या

प्रेम व्याख्या

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वह सुर्ख सा बदन तेरा,

हैं कैसे सुनहरे बाल तेरे,

परियों के संग बड़ी हुई तुम,

मन में अब उठ रहे सवाल मेरे।


वह सागर जैसे नैन तेरे,

हर छोटी बात पर बह जाना,

मुश्किल हैं इन नैनों से,

कोई भी राज़ छिपा पाना।


वह हल्की सी हँसी तेरी,

वह मीठा सा यूंँ शर्माना,

वो तेरा मिलने का वादा करना,

और वादा करके मुकर जाना।


वह सुराही सी कमर तेरी,

वह प्यासों का चला आना,

हाँ तो फिर लाज़िम हैं तुझमें,

और तेरे लहज़े में अना आना।


वह चंदन सा ह्रदय तेरा,

हो जिसमें साँपों का लिपट जाना,

हो कोई आम बात जैसे,

तेरी हर बात पर हँसी आना।


वह निश्छल सी पुकार तेरी,

वह फिज़ा का वही ठहर जाना,

कि नहीं मुनासिब हो जैसे,

मेरा वहाँ से लौट कर आना।


वह सुंदर सी छवि तेरी,

निहारते हुए बैठ जाना,

मोहब्बत में नहीं होता,

मोहब्बत से रूठ जाना।।


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