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Rahul Kumar Rajak

Inspirational

5.0  

Rahul Kumar Rajak

Inspirational

मैं

मैं

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मैं खुद को जानता हूँ,

तुम सब से बेहतर खुद को

पहचानता हूँ।

कभी डरता नहीं मुश्किलों से,

हमेशा लड़ता हूँ हौसलों से।

थोड़ा बुद्धू,थोड़ा पागल ज़रुर हूँ,

एक दिन जो सब पे चढ़ेगा

बेशक वो सुरुर हूँ।


नहीं मैं ज़हर नहीं बेचता था,

तुम सब आपस में लड़ो वो

कहर नहीं बेचता था,

तुम जितना समझते थे मैं

उतना भी बुरा नहीं था,

गंगाजल तो वैसे भी नहीं था मैं,

पर मैं मदिरा का सुरा भी नहीं था।


जाने-अनजाने ही तो किसी

का दिल तोड़

ता हूँ न,

पर एहसास हो जाए अगर तो

बेशक उसे जोड़ता हूँ न।

तुम सब कोई पहेली की

तरह मुझे क्यों घूरते हो,

डरने लगा हूँ तुम सब से अपने

मतलब के लिए तुम मुझे क्यों

चुराते हो।


मगरुर मैं हूँ नहीं ये भी तुम

जानते हो शायद,

और मजबूर मैं दिखता नहीं

ये भी तुम मानते हो शायद,

तुम मानोगे नहीं पर कभी-कभी

तो मैं मर जाना चाहता हूँ,

अब क्या सुनाऊ अपनी दास्तां के

अब मैं अपने घर जाना चाहता हूँ।

अब मैं अपने घर जाना चाहता हूँ।।


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