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Rominder Thethi

Romance

4.2  

Rominder Thethi

Romance

मुहब्बत

मुहब्बत

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इजहार-ए-मुहब्बत मे क्या रखा है

मन ही मन तुम्हें अपना बना रखा है

जब भी जी चाहे चले आना

मैंने दिल का द्वार खुला रखा है


तेरी यादों का मेला मेरे दिल के अंदर लगता है

तुझे देख के जीना सीखा है

तू आशाओं का समन्दर लगता है

जब से दिल में बसाया है तुझको

मुझे अपना दिल मंदिर लगता है

इस मंदिर में मुहब्बत की मूरत

मैंने तुझको बिठा रखा है


मेरी जिंदगी में तुम ऐसे जैसे साँसों के संग जीवन

जैसे चंदा के संग चाँदनी फूलों संग उपवन

जैसे सागर संग लहरें खुशबू संग सुमन

इसी तरह जिदंगी का अंग मैंने तुझको बना रखा है


इक दिन तुझे मेरी मुहब्बत का अहसास होगा

वो दिन बड़ा ही अहम बड़ा खास होगा

मिट जायेंगे सब फासले दूरियाँ

मेरे हाथों मे तेरा हाथ होगा

वो दिन आयेगा भी जरुर

मैंने उम्मीदों का दीपक जला रखा है।


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