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Jassika yadav

Romance

4  

Jassika yadav

Romance

चलो घर बैठ रिश्ते निभाते हैं,

चलो घर बैठ रिश्ते निभाते हैं,

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चलो घर बैठ रिश्ते निभाते हैं, 

ना तुम जल्दी ऑफ़िस जाना,

ना तुम देर से घर आना, 

घर से ही काम कर काम चलाना !

 

सुबह मैं देर तक सोती रहूं, 

चाय बना तुम करना सूरज का स्वागत,

चिड़ियों को दाना डाल पानी रखना, 

मुझे जगाने की प्यार से कोशिश करना !

 

घड़ी की सुइयां छेड़ेंगी हर सुबह,

लंबी रातों से उकता हर रोज़ सबेरे,

अलार्म बंद कर भूल जाना उठाना, 

सपनों की बतिया दोपहरी में सुनाना !

पुरानी तस्वीरों का खोल पिटारा,

यादों में उलझ करेंगे हिसाब, 

चलो गलतियों की मांगे माफ़ी,

आनेवाली यादें बनाएं खूबसूरत !

 

उल्टी गंगा बहाएं घर बना गढ़, 

आधे-आधे बांट लें अधिकार, 

आधे कर्तव्य निभाएं एकदूजे के, 

अर्द्धनारीश्वर बन पूरक दूजे के !

 

थोड़े तुम थोड़ा मैं बदलूंगी, 

बाहरी हवा खतरनाक है, 

भीतर की हवा प्राणवायु, 

जीतना है जंग शुद्ध रख इसे !

 

सुनो अब तक घर मैंने संभाला, 

अनिश्चित समय काल है अभी, 

घर में मेहमान नहीं साथी बनोगे,

पुरानी उलझनें फिर कभी सही !

 

चलो घर बैठे रिश्ते निभाते हैं, 

पुराने रिश्ते नए समझ अपनाएं, 

कोरोना के कहर से बचाकर, 

एक मौका मिला है सदुपयोग करें !

 

जोड़ ह्रदय से हृदय के रिश्ते,

हमारे रसायन को दें नई संज्ञा, 

जोड़ें रिश्ते प्रकृति से, अपनों से, 

भीतर प्रकाश से जो भूले हम !

 

कलयुग का कदापि अंत हो रहा, 

इस तरह सतयुग का करें शुभारंभ, 

सुधार कलयुगी गलतियां जो की थी,

रिश्तों से साकार भविष्य करें सृजन !


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