कुछ दिन जीने के
कुछ दिन जीने के
आज की इस भाग-दौड़ में,
नहीं मिलता है समय हमें।
एक साथ काम करने के लिए,
परिवार के संग रहने के लिए।
वैसे तो हमारी ज़िन्दगी में,
कई दिवस होते हैं;
परंतु यही वह कुछ दिवस होते हैं,
जब हम असली मायने में जीते हैं।
मुस्कुराना तो,
हम सबको आता है,
पर मुस्कुराते तो हम,
इन ही कुछ दिनों हैं।
हर्ष और उल्लास के संग
इन्हें मनाते हैं,
जी हाँ ! यह तो त्योहार ही हैं,
जिनके लिए भारतवर्ष प्रसिद्ध है।
भले ही कई जाति-धर्म हैं;
लेकिन इन्हें मनाते तो,
सब एक साथ ही हैं।
कई हाथ एक साथ आते हैं।
कभी प्रार्थना हेतु
,
तो कभी तालियाँ
बजाने के लिए।
कभी होली में,
रंग लगाने के लिए,
तो कभी दीपावली में,
दीये जलाने के लिए।
कभी पोंगल में,
रंगोली बनाने हेतु,
तो कभी नवरात्री में,
गरबा खेलने के लिए।
इनका मकसद सदैव रहा है,
खुशियाँ फैलाना,
उदास हुए मुखों पर,
मुस्कान लाना,
बुराई-रूपी अंधेरे को,
अच्छाई-रूपी उजाले की,
मात्र एक किरण
द्वारा मिटा देना।
यह सिखलाते हैं हमें,
एक साथ काम करने की भावना।
परंतु यह स्मरण रखकर-
एक साथ आना शुरुआत है,
एक साथ रहना तरक्की है,
और एक साथ काम करना सफलता है।