ओ बिटिया
ओ बिटिया
छोटी-सी वो तितली हमारी,
जिसे हमने दिखाई थी सही राह,
आज दे रही है, अपनी आँखों में,
अनगिनत सपनों को पनाह।
खोल देंगे सारे खिड़की-दरवाज़ें,
कर देंगे सबको आगाह,
अब हमारी बेटियाँ ही,
दिखाएँगी हमें उचित राह।
आज खड़ी है अपने पैरों पर,
नहीं चाहिए इन्हें किसी का सहारा,
इतनी क्षमता रखती हैं अपने भीतर,
कि बदल दें पूरी दुनिया का नज़ारा।
खोल देंगे सारे खिड़की-दरवाज़ें,
कर देंगे सबको आगाह,
अब हमारी बेटियाँ ही,
दिखाएँगी हमें उचित राह।
काँटों भरे रास्ते पर चलकर आईं हैं ये,
चोट लगने का नहीं है डर,
सिर्फ़ अपने हिस्से की इज़्ज़त चाहती हैं ये,
नहीं बनना चाहती, 'स्त्री एवं पुरुष में से बेहतर कौन' ,
इस प्रतियोगिता का विनर।
खोल देंगे सारे खिड़की-दरव
ाज़े,
कर देंगे सबको आगाह,
अब हमारी बेटियाँ ही,
दिखाएँगी हमें उचित राह।
गुड़ियों से खेलतीं हैं लड़कियाँ,
कहा जाता है, ये सर्वविधित सत्य है;
लेकिन दूसरों के लिए,
अपने सपनों से खेलतीं हैं लड़कियाँ,
इस बात से तो कई अनभिज्ञ हैं।
खोल देंगे सारे खिड़की-दरवाज़ें,
कर देंगे सबको आगाह,
अब हमारी बेटियाँ ही,
दिखाएँगी हमें उचित राह।
जिसको चलना सिखाने के लिए,
कभी हमने थामी थी उँगली,
वो आज सहारा बनकर,
थाम रहीं हैं हमारा हाथ,
एक बार मौका तो दो इन्हें,
फिर देखना इनके क़रामात।
खोल देंगे सारे खिड़की-दरवाज़ें,
कर देंगे सबको आगाह,
अब हमारी बेटियाँ ही,
दिखाएँगी हमें उचित राह,
अब हमारी बेटियाँ ही,
दिखाएँगी हमें उचित राह।