ट्रैफ़िक सिग्नल की बत्तियाँ
ट्रैफ़िक सिग्नल की बत्तियाँ
ट्राफ़िक सिग्नल पे तो रोज़,
तीन भाई बैथे रहते है;
लेकिन क्या कभी किसी ने कोशिश की है,
वो सुनने की, जो ये हमसे कहते हैं।
लाल भाई बैठते है सबसे ऊपर,
तो पीले भाई उनके नीचे ही बैठे रहते है,
हरा भाई हो सबसे नीचे,
तीनों को हम
'ट्राफ़िक सिग्नल की बत्तियाँ' कहते हैं।
कहते हम इन्हें कितना कुछ,
जो ये चुपचाप सुन लेते हैं,
चलो आज सुनते है इनकी ज़ुबानी,
क्या ये हमसे कहना चाहते हैं।
लाल भाई कहते हैं हमसे,
है क्या हम इतने डरावने,
कि रुक जाते हैं आप देखर हमें,
और क्या है हमारे प्रति खौफ़ इतना,
कि अपने वाहन भी आप रोक देते ?
पीले भाई कहना चाहते है कुछ,
चलिए उनकी बात सुनते है,
क्योंकि सबको मिलना चाहिए समान अवसर,
यह
ी न्याय के नियम कहते हैं।
हूँ मैं शायद लाल भैय्या से बेहतर,
तभी तो अपने वाहन शुरु कर देते हैं,
और मेरी सलाह मानकर,
जाने की तैयारी कर लेते हैं।
उपयुक्त वाक्य कहते हैं पीले भाई,
जो अपना पक्ष रख चुके हैं;
लेकिन अब बारी आती है हरे भाई की,
जो पद में सबसे छोटे हैं।
मैं सबसे छोटा हूँ,
अतः करते है सब मुझसे प्यार,
तभी तो देखते ही मुझे,
दौड़ने लगती हैं आपकी कार।
चलो करा देते हैं उन्हें स्मरण,
कि प्रत्येक का महत्त्व है भिन्न,
और सिखाते हैं ये हमें मानना,
ट्राफ़िक के पृथक चिह्न।
साथ ही सिखाते हैं ये हमें,
कि नहीं है कोई छोटा या बड़ा,
है सब समान,
जीवन में होता है प्रत्येक व्यक्ति का,
अपना पृथक स्थान।