हाँ मैं कंप्यूटर बोल रहा हूँ
हाँ मैं कंप्यूटर बोल रहा हूँ
जगमग- सी रोशनी आ रही थी,
हम वहाँ देखने चले गए,
कोई आवाज़ें भी सुनाई दे रही थी,
किसीके शब्द सनाई दिए-
बहुत नींद आ रही थी भैया,
इतनी जल्दि क्यों उठा दिया,
अच्छा- अच्छा! मैं उठ गया!
बटन को इतनी ज़ोर से दबाकर,
इतना हिंसक होने ही वजह है क्या?
तुम भी तो उठने में थोड़ा वक़्त लगाते हो,
फिर मेरी सिस्टम को भी तो शुरु होने दो ज़रा,
सब्र रखना सीख लो अब,
मेरा पीछा नहीं छूटने वाला इतनी जल्दि,
तो सलाह है, न मोल लो दुश्मनी,
बन जाओ मेरे यारा।
फिर तुम गूगल पे हज़ारों सवाल पूछना,
और अपनी अनगिनत मीटिंग्स में भाग लेना,
और मुझपे, जो मर्ज़ी चाहे करना,
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बस एक दरख़्वास्त है तुमसे,
वो तुम मान लेना|
कोरोना की वजह से मैं तुम्हारे करीब आ गया हूँ,
हम अब कितने अच्छे दोस्त बन गए है,
भले ही सब कहे की मैं तुम्हारी आँखों का दुश्मन हूँ,
मुझे ज्ञात है, तुम सिर्फ़ उनके कहने पर
मुझे छोड़कर कही नहीं चले जा रहे।
कितना काम करोगे तुम,
अब मैं भी हूँ थक गया ,
स्लीप पर रखकर हमेशा छोड़ देते हो,
किसी ने शटडाउन करना नहीं सिखाया क्या ?
तुम मेरे साथ हो इसकी खुशी है मुझे,
तुम्हें भी ऐसा ही आभास हो रहा होगा, ऐसी आशा करता हूँ,
तुम्हारा चेहरे का भाव देखकर ऐसा लग रहा है
कि मुझे पहचाना नहीं,
तो, हाँ मैं कंप्यूटर बोल रहा हूँ।