मैं कोई और नहीं...
मैं कोई और नहीं...
मैं सिर्फ़ एक नाम नहीं,
जो उन हज़ारों नाम के बीच, खो जाए,
मैं तो एक खयाल हूँ,
जिसके बारे में हर कोई सोचता रह जाए।
मैं सिर्फ़ एक चेहरा नहीं,
जिसे सुंदर या बदसूरत का दर्जा दिया जाए,
बल्कि, मैं तो एक याद हूँ, जो सबके दिल में समा जाए,
और जिसका स्मरण कर, एक मुस्कान मुँह पर फैल जाए।
मैं सिर्फ़ एक देह नहीं,
जो कुछ चोटें लग जाने पर,
अपनी हद पार करने पर, हार जाए,
मैं तो एक चरित्र हूँ,
जो अनगिनत दर्द सह ले, फिर भी,
जिसे कोई तोड़ न पाए।
मैं कोई साधारण व्यक्ति नहीं,
जिसे हर कोई समझ पाए,
मैं तो वो उलझी हुई पहेली हूँ,
जिसे हर कोई सुलझाना चाहे।
मैं कोई मूर्ती नहीं,
जो कुछ भी सहन कर, चुप रह जाए,
मैं तो वो इंसान हूँ,
जो वक़्त आने पर, सहन तो बहुत कुछ कर सके,
पर जो सबको अपनी ज्वाला में भस्म भी कर पाए।
मैं कोई और नहीं...
मैं नारी हूँ!