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Dinesh paliwal

Romance

4.7  

Dinesh paliwal

Romance

कस्तूरी

कस्तूरी

1 min
280



ये वादा तो नहीं अपना, कि तुम ही तुम रहोगे मन,

ये पंछी मन दीवाना है, न बांधो इस को तुम बंधन,

ये जितनी भी उड़ानें हैं, जो ख्वाहिश हैं रही इस दिल,

कि कस्तूरी रहो तुम प्रिय, उम्रभर मैं रहूं चन्दन ।।


तुम्हारा और मेरा साथ, ज्यों दीपक और बाती हो,

हम पूरक एक दूजे के, रोशनी मिल के आती जो,

कम न हो प्रेम का रस बस, इस जीवन की बाती में,

ये लौ बुझ सी जाती है, जो तुम ना मुस्कुराती हो ll


कभी मगरूर हो हम कहते, तुम्हारी हर अदा अपनी,

तुम्हारी हर एक ख्वाहिश पे, ये जाँ क़ुर्बान थी अपनी,

फकत इतना मोहब्बत ने, हमें अब तक सिखाया हैं,

न मेरी ना है अब अपनी, न मेरी हाँ भी अब अपनी ।।


मेरे सब गीत और नग्मे, बस तेरी चाहत से आये हैं,

कुछ ग़म के हुए सदके, कुछ खुशियां से नहाये हैं,

मुकद्दर को मैं अपने और, कितना आजमा लूँ अब,

जमाने भर की नियामत वो, मेरी झोली में लाये हैं ।।


हैं कितनी मंजिलें बाकी, उम्र भी साथ है अपने,

नींद कच्ची रही तो क्या, हैं पत्थर पर लिखे सपने,

चलो अब फिर अहद कर लें, लेकर हाथ हाथों में,

मुक्कमल जिन से हो मंजिल मंत्र बस वो ही हैं जपने ।।



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