लिपटी रहूँ पिया संग कैसे देह का चंदन घिसूँ, लिपटी रहूँ पिया संग कैसे देह का चंदन घिसूँ,
स्वयं की प्रतिभा पर करता संशय किंकर्तव्यविमूढ़ स्थिति में जीवन पहुँचाया स्वयं की प्रतिभा पर करता संशय किंकर्तव्यविमूढ़ स्थिति में जीवन पहुँचाया
दुनिया मे बहुत घूम रहा हूं अपने आप को ढूंढ रहा हूं। दुनिया मे बहुत घूम रहा हूं अपने आप को ढूंढ रहा हूं।
अनभिज्ञ थे इस बात से- अपार प्रेम समंदर भरा है दिल के अंदर! अनभिज्ञ थे इस बात से- अपार प्रेम समंदर भरा है दिल के अंदर!
खिलती बसंत है रंग में तेरे। तेरी मोहब्बत का नशा छाया है ऐसे खिलती बसंत है रंग में तेरे। तेरी मोहब्बत का नशा छाया है ऐसे
आखिर कहां मिलेगा वह प्रकाश, देगा जीवन को जो नव आभास आखिर कहां मिलेगा वह प्रकाश, देगा जीवन को जो नव आभास