"रंग तेरे! "
"रंग तेरे! "
खयाल तेरे,जैसे कस्तूरी महेके!
चाहत तेरी,जैसे सावन में मोर बहेके।
केसर सी लालीमा अंग अंग तेरे।
खिलती बसंत है रंग में तेरे।
तेरी मोहब्बत का नशा छाया है ऐसे
पहेली ही इबादत हो जैसे।
खयाल तेरे,जैसे कस्तूरी महेके!
चाहत तेरी,जैसे सावन में मोर बहेके।
केसर सी लालीमा अंग अंग तेरे।
खिलती बसंत है रंग में तेरे।
तेरी मोहब्बत का नशा छाया है ऐसे
पहेली ही इबादत हो जैसे।