नींद से दूरी
नींद से दूरी


नींद से बढ़ गई है दूरियाँ हमारी
ख्वाबों के हाट तक कहाँ ये चल पाती ?
सुबह से शाम, ना जाने कब है ढल जाती ?
तेरी मीठी थपकियों को तड़प है जाती।
यादों के फलक से हर पल मुस्कराती
मेरे "आज" से कोसों दूर ले जाती।
कई महकते ख्यालों से हुई लिपटी !
जिंदगी हर सूरत मे बहुत कुछ बताती !
बस, तेरी ही चाह मे, तेरे इंतजार में !
तेरे हर इम्तेहान में, नींदिया बैरन हो गई हमारी !
नींद से बढ़ गई है दूरियाँ हमारी।