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गुलशन खम्हारी प्रद्युम्न

Tragedy

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गुलशन खम्हारी प्रद्युम्न

Tragedy

कर्म कहां है??

कर्म कहां है??

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सिंहासन आरुढ़ सत्तासीन सत्ता पे ही आसीन हो गए,

सर्पों सी नाचती जनता हाथों में इनके बीन हो गए ।

सृजनकर्ता हे!रोजगार सृजक वादों का वो धर्म कहाॅं है?

बल बली बलवान हुए कहो यौवन का कर्म कहां है?


जवान कंधों पर पुष्प हार से नेत्रृ नेतृत्व किए थे,

शुभ कार्य शुभमंगल परोपकारी सारे कृतित्व किए थे ।

जो घर-घर घूमकर वादे किए थे वो सत्यनिष्ठ सत्कर्म कहाॅं है?

बल बली बलवान हुए कहो यौवन का कर्म कहां है?


आवाहन से उबलते रक्त में विद्युत संचार हो जाएगा,

नेतृत्व हो गांधी सा तो सब ओर सदाचार हो जाएगा ।

हे पालक सदा सहायक तुममें समाज का मर्म कहाॅं है?

बल बली बलवान हुए कहो यौवन का कर्म कहां है?



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