एक बेफ़िक्र अंदाज़
एक बेफ़िक्र अंदाज़
उसके मिज़ाज़ में एक तरह की बेफ़िक्री थी...
एक तरह की बेतरतीबी थी....
औरतें कहाँ इसतरह बेफ़िक्र होती है?
उसका इसतरह का बेफ़िक्र अंदाज़ ही उसे बाकी औरतों से अलग करता था....
वह अपने मर्ज़ी से जिंदगी बिताती थी....
घर मे लोगों का आना जाना मिलना जुलना....
शहर शहर घूमने जाना...
अपने पसंद के लिबास पहनना....
वह एक इम्पावर्ड वुमन थी...
एक लिबरल वुमन थी...
एकदम मुख़्तलिफ़ ख़यालात की औरत....
लेकिन कुछ लोगों के लिए उसका क़िरदार ठीक नही था...
कानाफूसी में वह 'आइटम' थी....
क्योंकि वह रवायती नही थी इसलिए मुझे वह बेहद पसंद थी...
लेकिन पर्सनली....
मेरे आसपास के लोगों के सामने नही....
बल्कि मैं उनके सामने उसके लिए नापसंदगी ज़ाहिर करती थी....
क्या यह हमारी ब्रेन की कंडीशनिंग नही है?
या फिर सोसाइटी की हिप्पोक्रेसी?
क्यों वह औरतों की स्टीरियोटाइप इमेज को ही पसंद करती है?