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Beena Ajay Mishra

Abstract Tragedy Inspirational

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Beena Ajay Mishra

Abstract Tragedy Inspirational

फिर बनो राम!

फिर बनो राम!

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हे पुरुषोत्तम, पुरुष श्रेष्ठ

 कौरव विनाश शीघ्र हो

 न जोहो बाट सुदर्शन की

 लो उठा पिनाक अब काल यही

 गर्भ असत्य पर वार करो

 ये रक्तबीज हैं जानो तुम

 अब इन पर चलो प्रहार करो

 ये एक गिरे सौ उपजेंगे

 धरती से स्पर्श न हो इनका

 इनकी माया का अंत करो

 हैं त्रस्त, त्राण करो सबका

 न जाने कृष्ण कहाँ सोए

 देखो कि द्रुपद सुता रोए

 उसकी मर्यादा भंग न हो

 कि अपना धैर्य न वह खोए

 धृतराष्ट्र आँख का अंधा है

 शकुनि की चाल-बिसात बिछी

 हैं भीष्म प्रतिज्ञा भ्रमित हुए 

 और सत्य असत्य में ठनी हुई

 न करो प्रतीक्षा कृष्ण की

 लो धनुष उठा टंकार भरो

 उनकी श्वासें वर्जित हों राम!!

 फिर बनो राम हुँकार भरो

 फिर बनो राम हुँकार भरो!!


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