जुल्म
जुल्म
ज़ुल्म, ज्यादती,
अत्याचार का अंत,
अब तो नामुमकिन ही होगा।
खून का घूंट पीकर,
दामन पर दाग लिए,
सीता की तरह वियोग काट लेना,
अब मत लड़ सम्मान,
की लड़ाई नहीं तो,
शब्दभेदी बाण से तेरी आत्मा चीर दी जायेगी,
फिर सच घूटनों के बल चलेगा,
और झूठों का आदर्श स्थापित होकर रहेगा।