STORYMIRROR

suneeta gond

Tragedy

3  

suneeta gond

Tragedy

आंसू

आंसू

1 min
230

ज़िन्दा लाश सी पड़ी हूं,

तो लाश को लाश ही रहने दो।

खुशियों की तलाश को,

तलाश ही रहने दो।

अब न आना नजदीक मेरे, 

मुलाकात को मुलाकात ही रहने दो।

हलक में फंसी सांस

को सांस ही रहने दो।

जो जिल्लत भरे शब्द 

आश्चर्य में डाल दें,

ऐसे आश्चर्य को आश्चर्य ही रहने दो।

सुने मकान की चीखों को

बर्दाश्त करने का हौंसल दे,

ऐसे तोहफों को खास ही रहने दो।

देखना नहीं चाहती

अपनी बद्दुवाओं का असर।

मेरी तड़प को 

मेरे पास ही रहने दो।

मिसाल बनने की कोशिश में, 

घर फूंक कर जो हाथ सेंक रहे हो,

रूको, ठहरों इंतजार तो कर लो।

ऐसी मिसाल को 

मिसाल ही रहने दो।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy