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suneeta gond

Tragedy Inspirational Others

4.5  

suneeta gond

Tragedy Inspirational Others

बेगैरत

बेगैरत

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पहले भी यही दौर था 

आज भी यहीं दौर है।

पहले चीरहरण सभा‌ओं में होता था,

अब तो हर जगह, हर समय,

पूरी शिद्दत से तो,

 कभी... दबावों में होता है।


दरिंदगी जागती है, 

न्याय सोता है।

पहले महाभारत होती थी,

अब सियासत होती है।

खुदग़र्जों की दुनिया में

मुर्दे हाजिर है।

जिन्दें गैरहाजिर है।


अशक्तिशाली न्याय 

 के लिए अथाह दर्द सहना ही होगा,

क्योंकि गैरत तलवारें खींचती थी,

और बेगैरत सलवारें खींचती है।


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