STORYMIRROR

suneeta gond

Tragedy Inspirational Others

4  

suneeta gond

Tragedy Inspirational Others

बेगैरत

बेगैरत

1 min
219

पहले भी यही दौर था 

आज भी यहीं दौर है।

पहले चीरहरण सभा‌ओं में होता था,

अब तो हर जगह, हर समय,

पूरी शिद्दत से तो,

 कभी... दबावों में होता है।


दरिंदगी जागती है, 

न्याय सोता है।

पहले महाभारत होती थी,

अब सियासत होती है।

खुदग़र्जों की दुनिया में

मुर्दे हाजिर है।

जिन्दें गैरहाजिर है।


अशक्तिशाली न्याय 

 के लिए अथाह दर्द सहना ही होगा,

क्योंकि गैरत तलवारें खींचती थी,

और बेगैरत सलवारें खींचती है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy