दहेज
दहेज
दिल दर्द और मौत के
दरमियान आखिर कौन है।
मां की लाडली और पिता की
शहजादी का गुनहगार कौन है।
समाज के बनाए जा दकियानूसी,
रिवाजों का जिम्मेदार कौन है।
पति के रुप में मिला शैतान,
पत्नी पर भारी है।
ऐ दहेज तू भी कितनी जालिम है,
निगल चुकी आयशा को
तू कितनी शक्तिशाली है।
तड़पो, चीखों, चिल्लाओं,
न्याय की आशा में
अब देखे आखिर किसकी बारी है...