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VIKAS KUMAR MISHRA

Drama

5.0  

VIKAS KUMAR MISHRA

Drama

कोई विलायत से आया था

कोई विलायत से आया था

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कोई विलायत से आया था।

कोई बापू की नगरी से,

कोई चित्रपट से आया था

कोई खेल, तो कोई कचहरी से !


सब आये हवा से,

नेता बड़े बन गये

वो जो माटी से आये थे,

छुटके ही रह गये !


पर तुझे तो न काबा मिला,

मिला न काशी

कहने को आवाम तुम,

बेवजह ही रह गये !


कोई निर्धन आया था,

कोई सोने की खान धरे !

कुछ नोबल वाले थे,

तो कुछ रतन लौटा बने !


कोई फलनिया ढिकानियाँ

विश्वविद्यालय से था !

कुछ जीजा-साले,

फूफा-चाचा की विरासत लिये !


लाल कालीन पर चलते वो

तुम्हे रौंद गये

वो जो मेहनतकश आये थे

एक सेल्फी के ही रह गये !


तुम्हें तो न मंदिर मिला,

मिली न मस्जिद

कहने को आवाम तुम,

बेवजह ही रह गये !


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