कोई विलायत से आया था
कोई विलायत से आया था
कोई विलायत से आया था।
कोई बापू की नगरी से,
कोई चित्रपट से आया था
कोई खेल, तो कोई कचहरी से !
सब आये हवा से,
नेता बड़े बन गये
वो जो माटी से आये थे,
छुटके ही रह गये !
पर तुझे तो न काबा मिला,
मिला न काशी
कहने को आवाम तुम,
बेवजह ही रह गये !
कोई निर्धन आया था,
कोई सोने की खान धरे !
कुछ नोबल वाले थे,
तो कुछ रतन लौटा बने !
कोई फलनिया ढिकानियाँ
विश्वविद्यालय से था !
कुछ जीजा-साले,
फूफा-चाचा की विरासत लिये !
लाल कालीन पर चलते वो
तुम्हे रौंद गये
वो जो मेहनतकश आये थे
एक सेल्फी के ही रह गये !
तुम्हें तो न मंदिर मिला,
मिली न मस्जिद
कहने को आवाम तुम,
बेवजह ही रह गये !
