सजनी दिन बचे है तेईस!
सजनी दिन बचे है तेईस!
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सजनी दिन बचे है तेईस
तुम्हारे आने को!
ओ सजनी दिन बचे है तेईस
तुम्हारे आने को!
गिनने को तो दिन चंद
उंगलियां भर है,
पर जैसे जीना तुम बिन,
एक उमर भर है!
नींद खुलते ही वो ठिठोली
तेरी याद आती है
खींच लेते थे बाहों में तुम्हें
अब वो सुबह न आती है!
सच कहूं तो सुबह जेठ की
भयंकर पहर दूजी लगती है!
कांटे भी घड़ी के तुझ बिन
बिन सुध की लगती है!
देखना सजनी दिन बचे है तेईस
फिर उसी सुबह के आने को
सजनी दिन बचे है तेईस
तुम्हारे आने को!
हर बात पर तेरा रूठना
मुझ को याद आता है
अब मनाये भी तो किसे
यहाँ मन समझ न पाता है
मन तो सूना है मेरा पूरा
कमरा खाली है
तेरे आने को दरवाज़े ही
पर नजर डाली है!
सावन से हरे इस सेज पर
मेघ की उदासी है!
सजनी दिन बचे है तेईस
मिलकर भीग जाने को
सजनी दिन बचे है तेईस
तुम्हारे आने को!