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VIKAS KUMAR MISHRA

Comedy Drama

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VIKAS KUMAR MISHRA

Comedy Drama

ख़ुदाए गालिब

ख़ुदाए गालिब

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रात आधी हो चली,

सहर दस्तक दे चली

गालिब को सुनता हूँ

और चंद लफ्ज लिखता हूँ !


अगली सुबह कुछ कानों में,

वो पढ़ता हूँ जो लिखता हूँ

कुछ कानों में उतरता हूँ

और कुछ मैं बस गूंजता हूँ !


चंद वाह-वाहिया और

मेरी बेअदबी तो देखो

खुद को खुदा ए ग़ालिब नहीं

उससे भी ऊपर समझता हूँ !


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