ग़ालिब के रिसाले को पहले पढ़ने के लिए। ग़ालिब के रिसाले को पहले पढ़ने के लिए।
खुद को खुदा ए ग़ालिब नहीं उससे भी ऊपर समझता हूँ ! खुद को खुदा ए ग़ालिब नहीं उससे भी ऊपर समझता हूँ !
जी चाहने लगता है तुम पर लिखे कुछ ग़ज़लें हम। जी चाहने लगता है तुम पर लिखे कुछ ग़ज़लें हम।
औऱ दिल है बस एक आकार कहा तुमने। औऱ दिल है बस एक आकार कहा तुमने।
जिन्हें जाना है वो चले जाएंगे, जिन्हें जाना है वो चले जाएंगे,
मोहब्बत किसी उम्र की मोहताज नहीं गालिब, ये वो नशा है, जो कभी भी हो जाता है बस एक नजर प्यार भरी चाह... मोहब्बत किसी उम्र की मोहताज नहीं गालिब, ये वो नशा है, जो कभी भी हो जाता है बस ...