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जाना चलते चलते बुराई है आगे जिंदगी कर्म देखा है चलते फिरते इश्क़ बचपन हिंदी कविता ज्ञान दुकानदार लड़ते लहरों को गालिब मोड़ रिश्ते समाज

Hindi चलते Poems