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Abhishek Singh

Abstract

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Abhishek Singh

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पहले यार कहा तुमने

पहले यार कहा तुमने

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पहले पास आ कर हाथ मिलाकर यार कहा तुमनें

फ़िर जब अकेलापन छाया तो संसार कहा तुमनें 


मेरी जरा सी आँख क्या लग गईं बात करते

कल हाल पुछा तुमसे तो बेज़ार कहा तुमने 


जब समझाया इश्क़ के सिवा और भी है मुद्दें 

मेरी बातों को अनसुना कर बेकार कहा तुमने


शराब हो या आँखे नशा नहीं हुआ इनसे 

मगर महफ़िल में झूठ असरदार कहा तुमने 


मक़तल-ए-जान थी वो जगह जहाँ गया था मैं 

मरने वाले को महज़ एक किरदार कहा तुमने


मैं यहाँ तुम वहाँ तो भी हम साथ ही थे 

फ़िर भी तुम्हे है मेरा इंतज़ार कहा तुमने


ग़ालिब ने यूँ ही दिल को नादान नहीं कहा

औऱ दिल है बस एक आकार कहा तुमने।


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