STORYMIRROR

नविता यादव

Romance

4  

नविता यादव

Romance

नशा मोहब्बत का

नशा मोहब्बत का

1 min
267

रुक्सते मोहब्बत कुछ इस कदर बहकी

ज़र्रा - ज़र्रा बहकने लगा...

होश कुछ इस कदर गुम हुए

दिल हमारा भी मचलने लगा।।


शाम की तनहाई भी, मधुर गीत गाने लगी

याद कर उनको, आंखें भी शर्म से झुकने लगी

कैसी कसक थी उनकी आवाज़ में

बिजली सी दौड़ पड़ी जैसे तन बदन में।।


उफ़ इस मोहब्बत में ये नशा कैसा है

सब कुछ भूल जाता है इंसान

सिर्फ़ महबूब की हर बात, हर अदा और

उसके साथ बिताए गए लम्हों का ही सिलसिला

याद रहता है।।


मोहब्बत किसी उम्र की मोहताज नहीं गालिब,

ये वो नशा है, जो कभी भी हो जाता है

बस एक नजर प्यार भरी चाहिए,

फिर मिलों की दूरियां, पल भर में सिमट जाती है

दुनियां और ही हसीन नजर आती हैं।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance