कितने दूर कितने पास
कितने दूर कितने पास
इंसानों से नज़दीकी और दूरी का फ़र्क़ तब समझ आया
जब गुलशन में उनके पास जाकर
फूलों का मख़मलीपन, उनकी खूबसूरती को
उनके आलिंगन में बैठ उनकी नरमी को
उसी वेग से कम होते देखा, जितना
काटों से खुद की दूरी बनाते वक़्त
उनके नुकीलेपन, उनमे रचे -बसे कुटीलेपन
उनकी बदसूरती की चुभन, उस दर्द के एहसास में
परिश्रम की मीठी मिश्री सी मिठास को घुलते देखा।