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Dr. Madhukar Rao Larokar

Drama

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Dr. Madhukar Rao Larokar

Drama

किसी गरीब का बच्चा

किसी गरीब का बच्चा

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किसी गरीब का बच्चा, खिलौने के लिए

रोयें,जिद करे तो आंसू छलक जाये।


परिवार को पालने, पिता परदेस जाए

जंगल, गाँव में रहे तो आंसू छलक जाये।


नेता, अफसर देश में, अंग्रेजी बोले, हिन्दी

से करे परहेज, तो आंसू छलक जाये।


दहेज लोभी समाज में, बेटी की

डोली छोड़ जाये तो आंसू छलक जाये।


ईमानदार को बेईमान, कष्ट दे जीना

मुहाल करे तो, आंसू छलक जाये।


चार कोस चलके, नंगे पांव कोई पीने

का पानी लाए तो 'मधुर 'आंसू छलक जाये।


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