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क़लम-ए-अम्वाज kunu

Drama Romance Fantasy

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क़लम-ए-अम्वाज kunu

Drama Romance Fantasy

कभी तो होठों से होठ मिलाया करो

कभी तो होठों से होठ मिलाया करो

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कभी तो शमा बुझाया करो 

नहीं अब मन दूर तुमसे रहूं एक पल

बांहों में भर दुलार किया करो

अरमानों की चिंगारी सुलग चुकी है

कभी तो बहक ये अग्न बुझाया करो

नहीं तलब अब किसी और खुशी की

तुम बस दिल से मुस्कुराया करो 

हिजाबों में कैद ना रखो जज़्बात 

सर्द हवाओं की मनोरम गश्ती है 

कभी तो कुछ गुस्ताखियां कर जाया करो

हूं बहुत प्यासा सदियों का 

कभी तो होंठों से शबनम पिलाया करो

ख्यालों में नहीं कभी तो पास आ 

गर्म सांसों में मुझे सुलाया करो


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