कभी आकर देखो
कभी आकर देखो
कभी आकर देखो, कैसे हम जीते हैं,
सुख कम मिलते, दुख के घूंट पीते हैं,
मुंह से आह निकले, होंठों को सीते हैं,
धन दौलत नहीं, जीवन में हम रीते हैं।
कभी आकर देखो, कौन यहां अपने हैं,
अमन चैन से जीते, प्रभु लेते सपने हैं,
खाना पीना करते, हित कार्य जपने है,
कष्टों में पता लगे, कौन हमारे अपने हैं।
कभी आकर देखो, हम स्वाभिमानी हैं,
परहित में दधिचि, देह के हम दानी है,
अपने कर्म करते है, नहीं अभिमानी है,
परिवार में बसते यूं, जैसे राजा रानी हैं।
कभी आकर देखो, भारत मेरा देश है,
आज भी यहां, संस्कृति अभी शेष है,
सादा खाना, सीधा चाल चलन मिले,
हरि का हरियाणा प्रांत, मेरा प्रदेश है।
कभी आकर देखो, क्या क्या खाते हैं,
दूध, दही, घी लूणा, रोटी पर लगाते हैं,
सुबह शाम माला, प्रभु भजन गाते है,
शरण में आये को, सीने से लगाते हैं।
कभी आकर देखो, क्या खेल खेलते हैं,
हाकी, टेम, झिरनी, दंड बैठक पेलते हैं,
हिम्मत के बल, आगे बढ़ते आये सदा,
बड़ी मुसीबत सारी सीने पर झेलते हैं।
कभी आकर देखो, कौन सखा हमारे है,
जनहित के काम करे, दुश्मन भी प्यारे हैं,
गोदी में खेलते जो, अपने राजदुलारे हैं,
कोई नहीं जिनका, वो जग में बेचारे हैं।
कभी आकर देखो, कैसे नाम कमाते हैं,
विपत्ति में देख लो, हँसते और हँसाते हैं,
दर्द अगर आते हैं, दर्द के सुर में गाते है,
हर काल में यूं तो, निज शान बचाते हैं।
कभी आकर देखो, कैसी हमारी यारी है,
पल में कुर्बानी दे, कुर्बानी ही प्यारी है,
लाख दुश्मन सामने, हिम्मत ना हारी है,
कोई साथ देता, रहते सदा आभारी हैं।
कभी आकर देखो, कैसे धर्म निभाते हैं,
दुश्मन सामने हो, पीठ नहीं दिखाते हैं,
साथी अपना मिले, कष्टों से बचाते हैं,
दोस्त अपना होता, दोस्ती भी निभाते हैं।
कभी आकर देखो, कैसे यहां वीर हैं,
पराये जन की सदा, हरते हम पीर है,
मन शांत रखते, बड़े सदा यूं धीर हैं,
आपदा आ जाये तो, मन से वजीर हैं।।
