जिंदगी खेल नहीं
जिंदगी खेल नहीं
ये कितना सच,
स्पष्ट होता हर रोज,
जब हमारे सामने आती नई चुनौती,
हम उससे निपटते,
कभी कामयाब होते,
कभी नहीं होते।
अगर मिलती कामयाबी,
तो हमारी होती उन्नति,
हमारी जिंदगी में खुशी आती,
और ज़िंदगी संवर जाती।
अगर होते असफल,
तो निराशा छा जाती,
अच्छी भली ज़िन्दगी,
मुसीबत में पड़ जाती,
चारों तरफ होता घाटा,
जिंदगी नरक बन जाती।
अगर जिंदगी होती एक खेल,
तो हार और जीत से क्या डर,
अगर एक बार हारे,
नहीं पड़ता कोई फर्क,
खेलेंगे दवारा,
शायद जीत हाथ लगे इस बार।
खेल के होते,
कई कायदे-कानून।
लेकिन जिंदगी है बहुत कठोर,
ये होती परिस्थितियों के हवाले,
अगर हो जाएं हार,
अधिकतर अवसर नहीं
मिलता फिर दवारा।