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Vijay Kumar parashar "साखी"

Drama Tragedy

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Vijay Kumar parashar "साखी"

Drama Tragedy

सुनो सरकारी कर्मचारी

सुनो सरकारी कर्मचारी

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सुनो सब सरकारी कर्मचारी,तुम कामचोरी करना छोड़ दो

कर्तव्य,ईमानदारी की ओर अब तुम अपना मुख मोड़ दो

नही तो आज देश मे हर चीज का निजीकरण हो रहा है

सरकारी नोकरी में अब तो तुम आलस्य करना छोड़ दो


भावीपीढ़ी हेतु सरकारी नौकरी बचाने की जिम्मेदारी लो

खुद को तुम सरकारी कर्मचारियों कर्म की ओर मोड़ दो

सुनो सब सरकारी कर्मचारी,तुम कामचोरी करना छोड़ दो

मेहनत की रोटी खाने की अच्छी आदत अब तुम जोड़ दो 


देश का अधिकांश युवा रोजगार हेतु दर-दर भटक रहा है

सरकारी नौकरी पाने को तो वो रात-दिन एक कर रहा है

तुम्हे मिली है,नौकरी उसे अच्छे से करने में जान झोंक दो

गर काम न होता तो सेवानिवृति लो,नौकरी करना छोड़ दो


यूं फिझुल में तुम सरकारी मुफ्त रेवड़ियां खाना छोड़ दो

रहम करो भावीपीढ़ी पर,कर्तव्य के प्रति खुद को सुबोध दो

मोटी तनख्वाह लेते हो,काम चींटी बराबर भी नही करते हो

इतने में तो निजी क्षेत्र के दस लोगो को काम तुम रोज दो


गर परिश्रम न किया तो,सरकारी नौकरी ख्वाब छोड़ दो

सुनो सब सरकारी कर्मचारी,तुम कामचोरी करना छोड़ दो

गर हराम का पैसा घर ले गये,फिर तुम घर पर शीशा तोड़ दो

जैसा करोगे, वैसा आईने में दिखोगे, बदसूरती दाग छोड़ दो


वक्त रहते न सुधरे,वृदाआश्रम चद्दर खरीदकर ओढ़ लो

जैसा बोओगे,वैसा ही काटोगे,अपने बेटों से धक्के खाओगे

हराम के पैसों से पुण्य कमाने की उम्मीदें तुम छोड़ दो

ईश्वर तो सदैव साखी आदमी के सत्कर्म में ही बसता है


अपना कर्म ईमानदारी से करो,बाकी सब ईश्वर पर छोड़ दो

अंधेरे में रहकर,लोगो को रोशनी देने की आदत छोड़ दो

सुनो सब सरकारी कर्मचारी,तुम कामचोरी करना छोड़ दो

खुद को तुम एक सर्वश्रेष्ठ निष्पाप दीप बनाने की सोच दो।


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