जीवन की सीख
जीवन की सीख
लिबास बदला
भेष बदला
चाल -ढाल बदल डाली,
हाथ में मोबाइल है,
इन्टरनेट का साथ है,
फिर क्या बात है ?
मर्यादा रख ताख पर,
घूमते हैं रात भर,
हो नहीं रही फिक्र,
देख ले कोई इधर,
आज कैसी चाह है,
दिन है या रात है ?
पापा तो रहते नहीं,
मम्मी को फुर्सत नहीं !
संस्कार तो मिलते नहीं
प्रेम सुमन खिलते नहीं !
कुटिलता का समावेश देखो,
और कैसे हम कहें,
हीनता कैसे सहें ?
कहते सुना मैंने सदा,
वक्त मिलता है नहीं,
कौन करता घर में मेहनत,
गैस कभी जलती नहीं !
फ़ास्ट फ़ूड का दौर है,
पिजा बरगर की होड़ है,
फिर कहाँ चूल्हा जले,
पार्टियों में दिल लगे !
आज तुमको खोजना है,
प्यार के एहसास को,
सींच दो तुम भी ह्रदय से,
मरुभूमि के उद्यान को !
कार्य के पथ पर हमेशा,
तुम सजग बनते रहो,
छल कपट से दूर रहकर,
प्रेम से बढ़ते रहो !
बाँट दो सर्वस्व अपना,
कलुषित ह्रदय को त्याग दो,
राह में कोई मिले,
तुम उसे बस प्यार दो !
प्यार जो दोगे सभी को,
संस्कार जो दोगे सभी को,
इसका फल मिलता रहेगा,
प्यार जग करता रहेगा !
