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Lakshman Jha

Drama Inspirational

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Lakshman Jha

Drama Inspirational

जीवन की सीख

जीवन की सीख

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लिबास बदला

भेष बदला

चाल -ढाल बदल डाली,


हाथ में मोबाइल है,

इन्टरनेट का साथ है,

फिर क्या बात है ?


मर्यादा रख ताख पर,

घूमते हैं रात भर,

हो नहीं रही फिक्र,

देख ले कोई इधर,


आज कैसी चाह है,

दिन है या रात है ?

पापा तो रहते नहीं,

मम्मी को फुर्सत नहीं !


संस्कार तो मिलते नहीं

प्रेम सुमन खिलते नहीं !

कुटिलता का समावेश देखो,

और कैसे हम कहें,

हीनता कैसे सहें ?


कहते सुना मैंने सदा,

वक्त मिलता है नहीं,

कौन करता घर में मेहनत,

गैस कभी जलती नहीं !


फ़ास्ट फ़ूड का दौर है,

पिजा बरगर की होड़ है,

फिर कहाँ चूल्हा जले,

पार्टियों में दिल लगे !


आज तुमको खोजना है,

प्यार के एहसास को,

सींच दो तुम भी ह्रदय से,

मरुभूमि के उद्यान को !


कार्य के पथ पर हमेशा,

तुम सजग बनते रहो,

छल कपट से दूर रहकर,

प्रेम से बढ़ते रहो !


बाँट दो सर्वस्व अपना,

कलुषित ह्रदय को त्याग दो,

राह में कोई मिले,

तुम उसे बस प्यार दो !


प्यार जो दोगे सभी को,

संस्कार जो दोगे सभी को,

इसका फल मिलता रहेगा,

प्यार जग करता रहेगा !


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