झूठी दलीलें
झूठी दलीलें
अखबार में खबरें भी बड़ी दिलचस्प नज़र आती है
झूठी दलीलें भी सच नज़र आती है
चलो बहस करते है हिन्दू - मुसलमान पे
तुम्हारी सारी नीयत अब खूब समझ आती है
ये जो नए नए फरमान लाते हो तहज़ीबे जलवे दिखाते हो
अब मान भी जाओ तुम्हें अदाकारी भी आती है
तुम निज़ाम हो हुकूमत संभालनी है तुम्हें
साहब कभी आपके कदम लड़खड़ाते है
तो कभी जुबां लड़खड़ाती है
अभी भी वक़्त है गुरूर थोड़ा कम कर लो
भूल ना जाओ हर 5 साल बाद
चुनाव की तारीख भी आती है।
