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Mohammed Khan

Others

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Mohammed Khan

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माँ

माँ

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कभी धूप में चलकर अपना बदन तपाया

कभी सीढ़ियाँ चढ़ उतरकर अपना पैर सुजाया

खुद बारिश में भीग कर सर मेरा बचाया

किताबों का बोझ कंधों पर उठाकर

मुझे इस काबिल बनाया

ज़िम्मेदारी क्या होती है

सिर्फ तूने सिखाया

गिरना और गिरकर संभलना

सिर्फ तूने सिखाया

तकलीफों में मुस्कुराना

सिर्फ तूने सिखाया

छोटी छोटी खुशियों को समेटना

सिर्फ तूने सिखाया

तेरा साथ बहुत छोटा था माँ

पर मेरी बहुत बड़ी दुनिया है तू

मैं आज भी अकेला नहीं हूँ

मेरे साथ हर जगह है तू

मेरे ज़िन्दा रहने की वजह है तू

मेरे अंदर बसी इंसानियत का

पहला सबक है तू

तेरा इस तरह छोड़ जाना हमेशा खलता रहेगा......

Miss You and Love You.......माँ


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