ए चराग
ए चराग
ए चराग तू परेशा ना हो
मैं बस मुखतसर तुझे रोशन करने आया हूँ
मेरा ग़म सिर्फ मेरा नहीं
सारे आलम की खैर - दुआ मांगने आया हूँ
बेशक इस दौर मे घना अंधेरा है
एक इल्म की शमा जलाने आया हूँ !!
ए चराग तू परेशा ना हो
मैं बस मुखतसर तुझे रोशन करने आया हूँ
मेरा ग़म सिर्फ मेरा नहीं
सारे आलम की खैर - दुआ मांगने आया हूँ
बेशक इस दौर मे घना अंधेरा है
एक इल्म की शमा जलाने आया हूँ !!