इज़हार का इंतज़ार
इज़हार का इंतज़ार
आज दिल को बेकरार किया जाए,
सोचता हूँ क्यों न प्यार किया जाए।
कब तक छुप कर देखने का सिलसिला चले,
चलो न अब मिल कर इज़हार किया जाए।
मिलने की हसरत तुम्हें भी तो होगी,
क्यों न मिल कर आँखों-आँखों में इकरार किया जाए।
ज़रा रुको,नैना कहीं तुम्हारे भी दगाबाज़ तो नहीं,
करीब आकर क्यों न साँसों पर एतबार किया जाए।
के खबर मिली है वो अमानत है किसी और की,
तौबा-तौबा,चलो न इन सब बातों से भी इंकार किया जाए।
अब इतना भी बेसबर क्या होना 'राहुल' ,
ज़रा उनकी हाँमी भरने तक का तो इंतज़ार किया जाए।।