इस जगह बहार ही बहार थी
इस जगह बहार ही बहार थी
इस जगह जगह बहार ही बहार थी
रौशनी थी, गन्ध थी, बयार थी
जब से तुम मिले, हम तेरे हुये
इस जगह को छोड़ के कुछ और ढूंढने लगे
हम तुम्हारी आंख में ठौर ढूंढने लगे।
रौशनी की बाढ़ हो सुने तो चल दिये
जिंदगी की छांव हो सुने ठहर गये
घूम घूम देखने लगे यहाँ की वादियां
कागजी गुलाब की हरी भरी सी क्यारियां
एक पल में ही जाने क्या हुआ
कोई इस जमीन के आकाश को निगल गया
जब से तुम मिले हम तेरे हुये
ये नजारे छोड़के कुछ और देखने लगे
हम तुम्हारी आंख में ही ठौर ढूंढने लगे
धर्म उठा शोर सा लो वर्दियां सजीं
एक नये गीत जैसी गोलियां बजीं
आग जो लगी तो कहे ये जलाया वो
लाश जो गिरी तो कहे ये मरा है वो
वक्त तो वही है पर मिजाज नया है
जिंदगी के मोड़ में पड़ाव नया है
जब से तुम मिले, हम तेरे हुये
हम मकान छोड़कर दीवाल ढूंढने लगे
हम तुम्हारी आंख में ही ठौर ढूंढने लगे
थरथराई पत्तियां हवा ने कुछ कहा
चहचहाईं बुलबुलें, फिजा ने कुछ कहा
अब तो रात खण्ड खण्ड टूट रही है
इस टूटन को रौशनी ही लूट रही है
फिर तुम्हारे चेहरे से नकाब उठी है
जम चुके विचार पर से धूल झड़ी है
जब से तुम मिले, हम तेरे हुये
आदमी को छोड़कर, विचार ढूंढने लगे
हम तुम्हारी आंख में ही ठौर ढूंढने लगे।

