इंतजार कब तक?
इंतजार कब तक?
अब ये इंतजार, तो खत्म कर दो
मैं और तुम को, बस हम कर दो।
तड़पती रही हूं रातों को मैं रोज़
ख्वाबों को हसीन, सनम कर दो।
घटाएं लहरा लहरा डरा रही हैं
बाहों में भरकर डर, कम कर दो।
रोक रहे हैं तुमको, जज़्बात मगर
कोई तो जज़्बात पे जुल्म कर दो।
उलझे हो सियासत में, रिश्तों की
हकीकत में, ये सब भ्रम कर दो।
किसने देखा ऊपरवाले को यहां
उसके नाम पे कम, सितम कर दो।
बैठ के पास, कोई कहानी लिखूं
कोई ऐसा लम्हा, मेरे नाम कर दो।

