हंसता गाता बचपन
हंसता गाता बचपन
याद है अब भी
बचपन में की हर शैतानी,
वो छुपा छुपी का खेल,
वो मछली जल की रानी।
ना भेदभाव था लड़के लड़का का,
जिस घर मन चाहे,
पी लेते थे पानी,
जात पात की बातें,
कभी ना हमने मानी,
वो छुपा छुपी का खेल
वो मछली जल की रानी।
हर गली नुक्कड़ में
रहता था शोर बचपन का,
हमें देख झूम जाता,
चाहे हो कोई पचपन का,
खेल में हारकर भी हार कभी ना मानी,
वो छुपा छुपी का खेल
वो मछली जल की रानी।
मां जब आवाज़ लगाती,
सारे ही छुप जाते,
एक दूसरे के राज
कभी ना किसी को बताते
हर साल इंतजार करते,
छुट्टियों में घर बुलाए नानी,
वो छुपा छुपी का खेल,
वो मछली जल की रानी।
