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sargam Bhatt

Tragedy Classics Inspirational

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sargam Bhatt

Tragedy Classics Inspirational

हसीं ख्वाब

हसीं ख्वाब

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कुछ हसीं ख्वाब आए,

दिल में यूं समाए।


लगी थी नींद अच्छी,

नींद मेरी यूं ही खुल गई,

 ख्वाब याद भी ना रख पाए।


कुछ हसीं ख्वाब आए,

दिल में यूं समाए।


ऐसे ख्वाब ही क्यों आए ?

जो एक पल भी ना रुक पाए!

नींद भी मेरी टूटी,

और ख्वाबों से ना मिल पाए।।


कुछ हसी‌ं ख्वाब आए ,

दिल में यूं समाए।


ख्वाबों में हम खो गए,

खुद को यूं ही भूल गए,

फिर भी ना रोक पाए।।


कुछ हसीं ख्वाब आए,

दिल में यूं समाए।


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