आँखें
आँखें
तुम्हारे प्यार की बातें
कुछ कह गई मुझसे
ज़रा सी रह गई मुझसे
कहीं चुप रह गई हमसे
नही देखा नही जाना
बस इतना याद है मुझको
तुम्हारे साथ की रातें
उजाले साथ की रातें
नही कुछ राज़ थी बातें
मग़र कुछ राज़ थी बातें........
जो अक़्सर ख़ामोश रहते थे
वही अब पूछते मुझसे
ज़रा इतना बताओ तुम
हमें कुछ तो समझाओं तुम
कहाँ गई आज वो बातें
जो अक़्सर साथ थी बातें
तुम्हारे नूर से देखो
वो सूरज दमकता है नभ में
खिली जो कलियाँ उपवन में
बस गई वो भँवरों के मन में
अब यह तितलियां सपनों की
उड़ा ले जाएगी हमको
तुम्हारे साथ सी सदियां
मिली है इस एक पल हमको
हमें तुमसे यही शिकवा
कहाँ तुम गुम रहे अबतक
कहाँ थी यह बेबाक़ी नज़रों की
कहाँ है अब वो झुकी आंखें
जो दिल से दिल को भाई थी
मिला दो फिर वही पलकें
खोल दो फिर वही आंखें
जो अक़्सर बुतनुमाया थी
वो हम पर छा गई आंखें।