हमारे दिन
हमारे दिन
![](https://cdn.storymirror.com/static/1pximage.jpeg)
![](https://cdn.storymirror.com/static/1pximage.jpeg)
हमारे दिन
शनिवार, ८ अगस्त २०२०
मुझे कुछ तो था एहसास
भारी हो रही थी सांस
लगाईं रही एक टकटकी
पता नहीं क्यों सांस रही अटकी।
एक मधुर मिलन का आभास
होने को चाहा सहवास
दिल में हो गया था आपका वास
बस मानो की हो गया था विश्वास।
कैसे होंगे हमारे दिन?
कैसे मिलन होगा प्रतिदिन?
बस यूँ ही मन में मचा घमासान!
क्योंकी काम नहीं था इतना आसान।
सपनो की दुनिया में राचना नहीं है अपराध
मिल ही जाता है इतना तो अवकाश
दिल से उठती है टीस और निकल जाती है हाश
कैसा नजारा होता यदि आप होते मेरे पास !
हम अनभिग्न है प्यार की गरिमा से
नहीं परिचित उसकी मधुरिमा से
बस मधुरस का पान करना है
संसार में शांति से बस जाना है
याद आती है आपकी मंदमंद मुस्कान
जैसे मिल गया मुझे आसमान!
मुझे लगते है तारे और चाँद समान
धीरे धीरे में गँवा रही हु मेरा भान।
मिल तो लो एकबार
फिर कहोगे बारबार
"साभार,साभार, शुक्रिया हजार बार "
ना जाने देंगे ये मौक़ा हम इस बार!